आजादी के बाद से अब तक मूलभूत सुविधाओं को तरसता जगपुरा पंचायत का गोपालपुरा गांव

भीलवाड़ा समाचार (रोहित सोनी की रिपोर्ट) -बिजली पानी शिक्षा चिकित्सा सड़क परिवहन पेंशन आवास जैसी योजनाओं से वंचित हैं ग्रामीण आसींद तहसील के जगपुरा पंचायत के गोपालपुरा गांव में आजादी के 70 साल बाद भी खेलू पोस मकानों में जीवन यापन करते हैं। भील समाज के लोग। केवल 4 महीनों के लिए बसता है गोपालपुरा गांव। मोबाइल चार्ज करने जाना पड़ता है 2 किलोमीटर दूर। एंकर:- आसींद तहसील के जगपुरा पंचायत के गोपालपुरा गांव जिसमें भील समाज के 50 घरों की बस्ती में लगभग 300 व्यक्तियों की जनसंख्या निवास करती है। 70 साल गुजर जाने के बाद भी इस गांव में बिजली पानी चिकित्सा सड़क परिवहन आदि सुविधाएं गांव के लोगों को नही मिल पाई हे। पेंशन आवास के अभाव में गांव में केलु पोस मकान में रहने को मजबूर हैं दलित समाज के लोग। लोगों ने समस्याओं हेतु प्रशासन को कई बार अवगत कराया परंतु किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस गांव में चुनाव के समय ही नेता व प्रशासनिक अधिकारी गाड़ी लेकर आते हैं। चुनाव खत्म होते ही गांव को भूल जाते हैं। इस गांव के लोग रोजगार के अभाव में महाराष्ट्र गुजरात में महिलाओं बच्चों सहित मजदूरी करते हैं वर्षा होने के दौरान लोग गांव में वापस आते हैं। जो बरसात की फसल की कटाई कर परिवार सहित वापस मजदूरी पर बाहर चले जाते हैं। विकास के नाम पर सिर्फ एक हैंडपंप बना हुआ हे। गोपालपुरा में विकास पर नजर डाले तो एकमात्र हैंडपंप नजर आता है। गांव के लोग स्नान करने से लेकर खुद के पीने का पानी ओर पशुओं को पिलाने के लिए हैंडपंप के पानी का सहारा लेते हैं। वही कही बार तो बच्चे हैंड पंप पर ही स्नान करते नजर आते हैं। चंबल परियोजना इस गांव से कोसों दूर नजर आती है। बिजली नहीं होने पर ग्रामीण मिनी का सहारा लेकर रात का गुजारा करते हैं। गांव में बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है हर घर में केरोसिन की चिमनी जलाई जाती है। गांव के लोगों को मोबाइल चार्ज करने दूसरे गांव में जाना पड़ता है। सड़क गांव से 4 किलोमीटर दूर गोपालपुरा गांव में विकास के नाम पर एक भी ब्लॉक अथवा सीसी रोड नहीं बना है। गांव की हर रास्ते पर उबड़ खाबड़ वह कीचड़ भरा रास्ता होने से आए दिन ग्रामीणों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सड़क गांव 4 किलोमीटर दूरी है आवागमन सुविधा नहीं होने से गोपालपुरा गांव के ग्रामीण 4 किलोमीटर पैदल या साइकिल का सहारा लेकर घर जाते हैं। 50 घरों की बस्ती में एक भी मोटरसाइकिल कार नहीं है बीमार होने पर दूसरे गांव से वाहन मंगवा कर उन्हें चिकित्सालय ले जाना पड़ता है। कभी कबार बस या बड़े वाहन गांव से निकलते हैं तो गांव के बच्चे वाहनों को देखने के लिए उमड़ पड़ते हैं। शिक्षा का अभाव गोपालपुरा भील समाज के द्वारा बसाया गया गांव पूरे गांव में 60 -70 बच्चे हैं जिसमें 5 बच्चे जो वर्ष में 4 माह के लिए दोला खेड़ा स्कूल जाते हैं। तथा बाद में परिवार के साथ महाराष्ट्र गुजरात मजदूरी पर चले जाते हैं। अधिकतर परिवार चयनित मे हे पर आवास योजना नहीं हे पूरे गांव में अधिकतर घर चयनित बीपीएल परिवार के हैं पर आज तक इनके कोई आवास योजना के मकान नहीं बना है। पूरे गांव के ग्रामीण सिर्फ केलु पोस व चंदर डाले हुए मकान में जीवन यापन करते हैं। आजीविका का साधन मात्र कृषि व भेड़ बकरियां बना हुआ हे। \"हमने बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर प्रशासन विभाग और नेताओं को बार-बार बताया पर हमारी कोई सुनने वाला नहीं है \" गोपी लाल भील गोपालपुरा निवासी \"हमने गांव में कोई सुविधा नहीं होने को लेकर मेरे कार्यकाल में मैंने प्रशासन को बताया वह अवगत करवाया पर विभाग द्वारा आश्वासन ही दिया गया \" रणजीत सिंह राणा पूर्व सरपंच जगपुरा \"हमने गांव के लोगों की समस्याएं सुनी है जल्दी प्रशासन व विभाग को गांव की समस्या हेतु अवगत करवाकर हर सुविधा गांव में उपलब्ध करवा दी जाएगी\" आजाद मोहम्मद उपसरपंच जगपुरा